कश्मीर से हटी धारा 370

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▪️जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाली संविधान की अनुच्छेद 370 को मोदी सरकार ने खत्म करने का फैसला किया है. गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म करने संकल्प राज्यसभा में पेश किया है. इसके अलावा राज्यसभा में अमित शाह ने राज्य पुनर्गठन विधेयक को पेश किया है. आइए जानते हैं आज कश्मीर को लेकर मोदी सरकार ने कौन-कौन से तीन बड़े फैसले लिए हैं जिसे ऐतिहासिक बताया जा रहा है.
धारा 370 कश्मीर से हटा दी गई। इसका क्या मतलब?
धारा 370 हटाई नहीं गई है। उसके तहत जो प्रतिबंध थे, उन्हें हटाया गया है। मतलब इसके तहत कश्मीर को जो स्वायत्तता मिलती थी, जो अलग अधिकार मिलते थे, वे सब हट गए हैं। जिस वजह से कहा जाता था कि एक देश में दो निशान, दो विधान, दो प्रधान, ये सब खत्म हो जाएंगे। धारा 370 का खण्ड एक लागू रहेगा जो कहता है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है।
ठीक है, पहले और अब में क्या अंतर है?
पहले भारतीय संसद के कई संवैधानिक फैसले जो कश्मीर पर लागू नहीं होते थे, वे अब पूरे देश की तरह यहां भी लागू होंगे। वित्तीय फैसले भी जो अब तक लागू नहीं होते थे, वे भी लागू होंगे। यही वजह है कि राष्ट्रपति के नोटिफिकेशन में अब जम्मू-कश्मीर में जो संविधान सभा थी, उसका नाम विधानसभा कर दिया गया है। पहले उसका नाम संविधान सभा इसलिए था, क्योंकि भारत की संसद की तरह ही वह कई संवैधानिक निर्णय करती थी। चाहे संसद में पारित निर्णयों को पारित करने का निर्णय हो, चाहे उसे नामंजूर करने का हो। सबसे बड़ी बात यह कि अब देश का कोई भी नागरिक कश्मीर में उसी तरह रह या बस सकेगा, जिस तरह वह अन्य राज्यों में रह या बस सकता है।
केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा क्यों?
जैसे दिल्ली में है, जैसे पुडुचेरी में है, वैसे ही जम्मू-कश्मीर में भी विधानसभा होगी। यानी कश्मीर में चुनाव होंगे। विधायक होंगे, मुख्यमंत्री होगा, लेकिन पुलिस, सुरक्षा-व्यवस्था आदि पर केंद्र का अधिकार होगा। वहां की सरकार को हर निर्णय, हर प्रश्न पर उपराज्यपाल से राय लेनी होगी। यानी हर तरह से जम्मू-कश्मीर केंद्र के अधीन ही होगा।
आखिर इस सबसे बदलाव क्या आएगा?
सबकुछ बदल जाएगा। जम्मू-कश्मीर के जो तीन सत्ता परिवार हैं, अब्दुल्ला परिवार, मुफ्ती परिवार और तीसरा कांग्रेस परिवार, उनके हाथ में कुछ नहीं रह जाएगा। देशभर के लोगों के कश्मीर में बसने और वहां बिजनेस करने का रास्ता खुल जाएगा। खासकर, होटल इंडस्ट्री में बड़ा बूम आएगा। इसके पहले होटल इंडस्ट्री पर कई तरह के प्रतिबंध थे। बाकी देश के लोग जब यहां उद्योग-धंधे खोलेंगे तो आतंकवाद में कमी आएगी। कोई ऐसी गतिविधियों को आश्रय नहीं देगा। सबसे बड़ा बदलाव यह भी आएगा कि सेना की वहां उपस्थिति और उस पर खर्च धीरे-धीरे कम होता जाएगा। लद्दाख के अलग होने से वहां विकास तेजी से होगा। अभी तक घाटी के नेता इस ओर ध्यान नहीं देते थे।
लेकिन कश्मीर के आम लोग तो धारा 370 के प्रति बड़े संवेदनशील हैं। उनकी भावनाओं का क्या?
दरअसल, वहां के तीन सत्ता परिवारों ने लोगों में ऐसा भ्रम बना रखा था। इस धारा के शिथिल होने से वहां के लोगों को ही फायदा होगा। इस धारा के हटने से इन सत्ता परिवारोंका एकाधिकार खत्म होता, इसलिए इन परिवारों ने किसी को भी इस धारा के बारे में सोचने तक नहीं दिया।
ये नए बदलाव लागू कब होंगे?
धारा 370 का शिथिलीकरण तो राष्ट्रपति के नोटिफिकेशन के साथ ही तुरंत लागू हो गया है। संसद में तो अब केवल पुनर्गठन विधेयक पारित होना है। जिसमें जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाना है। ये वैसा ही होगा जैसे मप्र से अलग होकर छत्तीसगढ़ बना था। उप्र से अलग होकर उत्तराखंड और बिहार से अलग होकर झारखंड बना था।

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